*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
दस्तूर जमाने का निभाया भी नहीं था
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
क्यों बेवजहां तेरी तारीफ करें
घर से निकले जो मंज़िल की ओर बढ़ चले हैं,
हास्य कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वैराग्य ने बाहों में अपनी मेरे लिए, दुनिया एक नयी सजाई थी।
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'