जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
है अजब सा माहौल शहर का इस तपिश में,
रिश्ते खून के नहीं विश्वास के होते हैं,
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
There's nothing wrong with giving up on trying to find the a
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
रम्मी खेलकर लोग रातों रात करोड़ पति बन रहे हैं अगर आपने भी स
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.!