2737. *पूर्णिका*
2737. पूर्णिका
हसरत मेरी तुम खुश रहो
22 22 2212
हसरत मेरी तुम खुश रहो ।
बगियां मेरी तुम खुश रहो ।।
आज जमाना जाए बदल ।
दुनिया मेरी तुम खुश रहो ।।
हरदम निखरे ये जिंदगी ।
खुशियाँ मेरी तुम खुश रहो ।।
देती है मंजिल मेहनत ।
खूबी मेरी तुम खुश रहो ।।
न चुभे काँटे खेदू कभी ।
मस्तियाँ मेरी तुम खुश रहो ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-11-2023रविवार