2735. *पूर्णिका*
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2735. पूर्णिका
हमको तुम समझ गए
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हमको तुम समझ गए ।
तुमको हम समझ गए ।।
पग चूमेगी मंजिल ।
चाहत क्या समझ गए ।।
दुनिया प्यारी-सी अब ।
जाने मन समझ गए ।।
है प्रेम विश्वास यहाँ ।
जीवनपथ समझ गए ।।
बांटे खुशियाँ खेदू ।
सारे राज समझ गए ।।
…………✍ डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
19-11-2023रविवार