बना रही थी संवेदनशील मुझे
गरबा नृत्य का सांस्कृतिक अवमुल्यन :जिम्मेवार कौन?
ख़िलाफ़ खड़े सिर कुचल दिए, इसान थोड़ी है
व्यक्ति को ख्वाब भी वैसे ही आते है जैसे उनके ख्यालात होते है
गुरु, शिक्षक, अध्यापक, टीचर
Being liked and loved is a privilege,
मैंने अब रूठना छोड़ दिया क्योंकि मनाने वाला ही रुठ गया।
मनाओ मातु अंबे को
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
धुएं के जद में समाया सारा शहर पूछता है,
ग़ज़ल _ मांगती इंसाफ़ जनता ।