कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
संकीर्णता नहीं महानता की बातें कर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ख़्याल आते ही क़लम ले लो , लिखो तुम ज़िंदगी ,
प्यार और नौकरी दिनो एक जैसी होती हैं,
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
थोङा कड़वा है मगर #लङकियो के लिए सत्य है ।
एक बिखरा ख़्वाब हूँ मैं, तू नींदों में दीदार ना कर,
*आई करवा चौथ है, लाई शुभ संदेश (कुंडलिया)*