जिन्दगी तेरे लिये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
वक़्त हमें लोगो की पहचान करा देता है
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
*आओ पूजें वृक्ष-वट, करता पर-उपकार (कुंडलिया)*
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
✍️ नशे में फंसी है ये दुनियां ✍️
विश्वास
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
मानव आधुनिकता की चकाचौंध में अंधा होकर,
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
सुना हूं किसी के दबाव ने तेरे स्वभाव को बदल दिया
वो रंगीन स्याही भी बेरंग सी नज़र आयेगी,