2723.*पूर्णिका*
2723.*पूर्णिका*
🌷 उड़ता फिरूँ मस्त गगन में🌷
2212 2212
उड़ता फिरूँ मस्त गगन में ।
मंजिल मिले मस्त लगन में ।।
आजाद हूँ आबाद हूँ ।
सब देख अपने वतन में ।।
अपना जहाँ ये जिंदगी ।
आनंद है बस कफन में ।।
खैरात कब मिलती कहाँ ।
खुशियाँ रखे हम जतन में ।।
हमदोस्त बन खेदू कहे।
खिलती कली यूं चमन में ।।
…….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
13-11-23 सोमवार