दौड़ना शुरू करोगे तो कुछ मिल जायेगा, ठहर जाओगे तो मिलाने वाल
*मेरा वोट मेरा अधिकार (दोहे)*
*आए अंतिम साँस, इमरती चखते-चखते (हास्य कुंडलिया)*
जल्दी-जल्दी बीत जा, ओ अंधेरी रात।
जिंदगी मौत से बत्तर भी गुज़री मैंने ।
आजकल लोग का घमंड भी गिरगिट के जैसा होता जा रहा है
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सज़ा-ए-मौत भी यूं मिल जाती है मुझे,
यादों की बारिश
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
Pyaaar likhun ya naam likhun,
ढीठ बनने मे ही गुजारा संभव है।
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
आदमी खरीदने लगा है आदमी को ऐसे कि-
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।