खुबिया जानकर चाहना आकर्षण है.
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
बरसात
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)*
मेरी जीत की खबर से ऐसे बिलक रहे हैं ।
झूल गयी मोहब्बत मेरी,ख्वाइश और जेब की लड़ाई में,
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
शब्द केवल शब्द नहीं हैं वो किसी के लिए प्राण हैं
भारत
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जन्मदिन मनाने की परंपरा दिखावे और फिजूलखर्ची !
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुझे नहीं नभ छूने का अभिलाष।
मन्दिर, मस्ज़िद धूप छनी है..!
हम तुम एक डाल के पंछी ~ शंकरलाल द्विवेदी
Shankar lal Dwivedi (1941-81)