2713.*पूर्णिका*
2713.*पूर्णिका*
हे मातृभूमि तुझ पर वारुं
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हे मातृभूमि तुझ पर वारुं ।
कुरबान जान अपनी निहारुं ।।
हरदम विकास हो दुनिया का ।
देखे निशान अपनी निहारुं ।।
हम देश के लिए मर मिटते।
यूं गीत गान अपनी निहारुं ।।
बस प्यार की बस्ती में बसते।
रोज अरमान अपनी निहारुं ।।
ना हार जीतते जहाँ खेदू।
ये आन बान अपनी निहारुं ।।
………✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
11-11-23 शनिवार