मुझे उस पार उतर जाने की जल्दी ही कुछ ऐसी थी
वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
कैसे आये हिज्र में, दिल को भला करार ।
भाईचारे का प्रतीक पर्व: लोहड़ी
जाति और धर्म के मुद्दे इतने अधिक बलशाली हैं कि
छल और फ़रेब करने वालों की कोई जाति नहीं होती,उनका जाति बहिष्
वो कुछ इस तरह रिश्ता निभाया करतें हैं
यूँ भी हल्के हों मियाँ बोझ हमारे दिल के
*जीतेंगे इस बार चार सौ पार हमारे मोदी जी (हिंदी गजल)*
परमपिता तेरी जय हो !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
ज़िन्दगी से नहीं कोई शिकवा,
आसान नहीं हैं बुद्ध की राहें