मौत से बढकर अगर कुछ है तो वह जिलद भरी जिंदगी है ll
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
यह चाय नहीं है सिर्फ़, यह चाह भी है…
पूनम का चांद
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
ना ढूंढ मोहब्बत बाजारो मे,
आसमान की छोड़ धरा की बात करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब