*जनसमूह के मध्य साक्षात्कार-शैली की सफल प्रस्तुति के जन्मदात
kab miloge piya - Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
दीवारें....., सिर्फ घरों में नहीं होती
प्यार चाहा था पा लिया मैंने।
23/164.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
बातें कितनी प्यारी प्यारी...
ये तेरी यादों के साएं मेरे रूह से हटते ही नहीं। लगता है ऐसे
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज