जिसकी विरासत हिरासत में है,
गज़ल
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
ज़िंदगी के किताब में सबसे हसीन पन्ना
*********आजादी की कीमत***********
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
कुछ मुकाम पाने है तो काफी कुछ छोड़ने का साहस दिखाना होगा। क्
नगर अयोध्या ने अपना फिर, वैभव शुचि साकार कर लिया(हिंदी गजल)
दर्द कितने रहे हों, दर्द कितने सहे हों।
संपूर्ण राममय हुआ देश मन हर्षित भाव विभोर हुआ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
उसने कहा कि मैं बहुत ऊंचा उड़ने की क़ुव्व्त रखता हूं।।
मेरे नाम अपनी जिंदगानी लिख दे
पढ़े साहित्य, रचें साहित्य
तू गीत ग़ज़ल उन्वान प्रिय।