चीं-चीं करती गौरैया को, फिर से हमें बुलाना है।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
कृष्ण भक्ति में मैं तो हो गई लीन...
उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सच तो जीवन में हमारी सोच हैं।
भाई घर की शान है, बहनों का अभिमान।
*पीला भी लो मिल गया, तरबूजों का रंग (कुंडलिया)*
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
"अपने घर के सबसे बडे़ लडके हैं हम ll
सुनो, मैं सपने देख रहा हूँ
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
चिंता, फ़िक्र, कद्र और परवाह यही तो प्यार है,
खुद को मुर्दा शुमार ना करना ,
लोगों को ये चाहे उजाला लगता है
पागल सा दिल मेरा ये कैसी जिद्द लिए बैठा है
आंखों पर पट्टी, होठों पर मौन जड़ गया ।
तूने कहा कि मैं मतलबी हो गया,,