सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
कैसे हो गया बेखबर तू , हमें छोड़कर जाने वाले
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
वो आइने भी हर रोज़ उसके तसव्वुर में खोए रहते हैं,
इस ज़िंदगी के रंग कई होते हैं...
एक आप ही तो नही इस जहां में खूबसूरत।
अजब-गजब
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*सरल सुकोमल अन्तर्मन ही, संतों की पहचान है (गीत)*
सापटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।