2709.*पूर्णिका*
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2709.*पूर्णिका*
भाव मन का समझ पाते
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भाव मन का समझ पाते ।
काश हमको समझ पाते ।।
जिंदगी की है कहानी ।
आज दुनिया समझ पाते ।।
लाख चाहों जीतना भी ।
बाजियां गर समझ पाते ।।
है मुसाफिर की तरह हम ।
हमसफर बन समझ पाते ।।
साथ किसका देख खेदू ।
यार अपना समझ पाते ।।
…….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
09-11-23 गुरुवार