*"श्रद्धा विश्वास रुपिणौ'"*
"दुखद यादों की पोटली बनाने से किसका भला है
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
*साथ तुम्हारा मिला प्रिये तो, रामायण का पाठ कर लिया (हिंदी ग
दोहे-मुट्ठी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
"कोशिशो के भी सपने होते हैं"
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत