Poetry Writing Challenge-3 Result
*बुढ़ापे का असर है यह, बिना जो बात अड़ते हो 【 हिंदी गजल/गीतिक
बदली बदली सी फिज़ा रुख है,
समय किसी भी तख़्त का,हुआ नहीं मुहताज
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चाहे बड़े किसी पद पर हों विराजमान,
जो अपनी ग़म-ए-उल्फ़त से गिला करते हैं,
रौनक़े कम नहीं हैं चाहत की
जखने कथा, कविता ,संस्मरण इत्यादि अपन मुख्य धारा सँ हटि पुर्व