सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
ऐ मेरी जिंदगी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
दूर अब न रहो पास आया करो,
दिल चाहता है अब वो लम्हें बुलाऐ जाऐं,
आखिर तेरे इस हाल का, असल कौन जिम्मेदार है…
चिंता दर्द कम नहीं करती, सुकून जरूर छीन लेती है ।
ये ज़िंदगी भी ज़रुरतों से चला करती है,
शिवजी भाग्य को सौभाग्य में बदल देते हैं और उनकी भक्ति में ली
पूर्वोत्तर के भूले-बिसरे चित्र (समीक्षा)
*भारतीय जीवन बीमा निगम : सरकारी दफ्तर का खट्टा-मीठा अनुभव*
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
सबको खुश रखना उतना आसां नहीं