मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
International Self Care Day
......... शिक्षक देव........
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
నేటి ప్రపంచం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आत्मस्वरुप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
सबने सब कुछ लिख दिया, है जीवन बस खेल।
कर इश्क केवल नजरों से मुहब्बत के बाजार में l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
कुछ तो सोचा होगा ख़ुदा ने
कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म-
गर्म हवाएं चल रही, सूरज उगले आग।।
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*कितनी भी चालाकी चल लो, समझ लोग सब जाते हैं (हिंदी गजल)*