2686.*पूर्णिका*
2686.*पूर्णिका*
* मंजिल भी पता पूछते *
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मंजिल भी पता पूछते ।
साहिल भी पता पूछते।।
साजिश में यहाँ हसरतें ।
कातिल भी पता पूछते।।
चोटिल देख ले जिंदगी ।
दुनिया भी पता पूछते।।
खिलना छोड़ जाते यहाँ ।
बगियां भी पता पूछते।।
रहते रोज खेदू यहीं ।
साजन भी पता पूछते।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
05-11-23 रविवार