2681.*पूर्णिका*
2681.*पूर्णिका*
साथी भरोसे के मिलते नहीं
2212 22 2212
साथी भरोसे के मिलते नहीं ।
अब फूल भी मस्त हो खिलते नहीं।।
मंजर कभी देखो आकर यहाँ ।
यूं अपनी जगह से हिलते नहीं ।।
मौका मिले चौका मारे सभी ।
चाहत कुर्बानी की रखते नहीं ।।
बस प्यार की हरदम बरसात हो ।
गमगीन दिल कोई फिलते नहीं ।।
बेजान याराना खेदू जहाँ ।
यूं घास देखे हम भी छिलते नहीं।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
05-11-23 रविवार