2680.*पूर्णिका*
2680.*पूर्णिका*
हम समझदार होने लगे
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हम समझदार होने लगे ।
नफरत न प्यार होने लगे।।
अपनी नयी नयी जिंदगी।
दुनिया बहार होने लगे।।
दरिया जहाँ वहाँ यूं कश्ती।
मन मंझधार होने लगे।।
पूरी कभी नहीं हसरतें ।
सब आर पार होने लगे।।
कुरबां सुजान खेदू सच्चे ।
बस चमकदार होने लगे।।
…….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
04-11-23 शनिवार