हरमन प्यारा : सतगुरु अर्जुन देव
*रामचरितमानस में अयोध्या कांड के तीन संस्कृत श्लोकों की दोहा
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
देखिए मायका चाहे अमीर हो या गरीब
बहुत फर्क पड़ता है यूँ जीने में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
राधे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
एक चिंगारी ही काफी है शहर को जलाने के लिए
दुनियां में मेरे सामने क्या क्या बदल गया।
तू देख, मेरा कृष्णा आ गया!
कैमिकल वाले रंगों से तो,पड़े रंग में भंग।
दिल्ली की बिल्ली
singh kunwar sarvendra vikram
शुक्र है, मेरी इज्जत बच गई