शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
गीत _ इतना तो बतलाओ तुम !
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
बदली बदली सी फिज़ा रुख है,
"राह अनेक, पै मँजिल एक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
तू अपने दिल का गुबार कहता है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)