पढ़े साहित्य, रचें साहित्य
*जिंदगी में साथ जब तक, प्रिय तुम्हारा मिल रहा (हिंदी गजल)*
हिन्दी भाषा के शिक्षक / प्राध्यापक जो अपने वर्ग कक्ष में अंग
मेरे खिलाफ वो बातें तमाम करते हैं
घर के अंदर, घर से बाहर जिनकी ठेकेदारी है।
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
पढ़िये सेंधा नमक की हकीकत.......
वक्त निकल जाने के बाद.....
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
पृथ्वी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आँखों की गहराइयों में बसी वो ज्योत,
हिंदी साहित्य की नई : सजल
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,