2674.*पूर्णिका*
2674.*पूर्णिका*
यूं ढ़ल जाओगे
22 22 2
यूं ढ़ल जाओगे ।
तुम बन जाओगे।।
काली रात नहीं ।
दिन मस्त पाओगे।।
महके चमन खिले।
खुशियाँ पाओगे।।
सोच नया कर लो ।
मंजिल पाओगे।।
हाथ यहाँ थामे ।
साथ निभाओगे।।
कर नेकी खेदू ।
भव तर जाओगे।।
…….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
03-11-23 शुक्रवार