*** रेत समंदर के....!!! ***
कहीं खूबियां में भी खामियां निकाली जाती है, वहीं कहीं कमियो
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
काम और भी है, जिंदगी में बहुत
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है
इत्र जैसा बहुत महकता है ,
तेरे दर पे आये है दूर से हम
हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
धरती सा धीरज रखो, सूरज जैसा तेज।