पार्टी-साटी का यह युग है...
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
ख्यालों के महफ़िलों में एक सपना देखा था,
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
सियासत जो रियासत खतम करके हम बनाए थे, सियासत से रियासत बनाने
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
दस्तूर जमाने का निभाया भी नहीं था
फिर चाहे ज़िंदो में.. मैं मुर्दा ही सही...!!
हाइकु haiku
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)