अंतर्मन विवशता के भवर में है फसा
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फलों से लदे वृक्ष सब को चाहिए, पर बीज कोई बनना नहीं चाहता। क
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
संवेदना - अपनी ऑंखों से देखा है
हिंदी है भारत देश की जुबान ।
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!