अब हम उनके करीब से निकल जाते हैं
Quote..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
किसी के दुःख को अपनें भीतर भरना फिर एक
विचारिए क्या चाहते है आप?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
हंसना आसान मुस्कुराना कठिन लगता है
अभ्यर्थी हूँ
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
उनसे कहना ज़रा दरवाजे को बंद रखा करें ।
आया यह मृदु - गीत कहाँ से!
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
क्यों खफा है वो मुझसे क्यों भला नाराज़ हैं
जग कल्याणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
यूं सजदे में सर झुका गई तमन्नाएं उसकी,
अगर आज किसी को परेशान कर रहे
"नाना पाटेकर का डायलॉग सच होता दिख रहा है"