2662.*पूर्णिका*
2662.*पूर्णिका*
दीया की तरह जलते हम
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दीया की तरह जलते हम।
फूलों की तरह खिलते हम ।।
मिलती जिंदगी भर खुशियाँ ।
हरदम प्यार से मिलते हम ।।
कहते लोग क्या कहने दो ।
देखो बदजुबां सिलते हम ।।
यूं तकलीफ होती किसको ।
अपने हाथ ना मलते हम ।।
रखते साफ दिल यूं खेदू।
करके नेकिया चलते हम ।।
………✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
01-11-23 बुधवार