2661.*पूर्णिका*
2661.*पूर्णिका*
तुझ पे दिल कुरबान है
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तुझ पे दिल कुरबान है ।
बनते क्यूं अनजान है ।।
महकेगी यूं जिंदगी।
बस तू ही अरमान है ।।
जैसा चाहा हो वही।
सच तू मेरी जान है ।।
बगियां अपनी प्यार की ।
तुझसे ही पहचान है ।।
खाएं खेदू कसम क्या।
प्यारे आज जहान है ।।
………✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
01-11-23 बुधवार