" बढ़ चले देखो सयाने "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
प्रेम गजब है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
इधर एक बीवी कहने से वोट देने को राज़ी नहीं। उधर दो कौड़ी के लो
*आ गये हम दर तुम्हारे,दिल चुराने के लिए*
“कभी मन करे तो कुछ लिख देना चाहिए
हमारी शान है हिन्दी, हमारा मान है हिन्दी।
हर जरूरी काम ढंग से होने चाहिए...
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
व्यग्रता मित्र बनाने की जिस तरह निरंतर लोगों में होती है पर
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।