2656.*पूर्णिका*
2656.*पूर्णिका*
ना जाने ना समझे कोई
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ना जाने ना समझे कोई ।
नादान परिंदा है कोई।।
अपना ही कहते गैर नहीं ।
दिल से न कभी माने कोई।।
दुनिया के रंग दिखाते सब ।
बदले अपनी फितरत कोई ।।
अपनी नजरों से न गिरे हम।
इंसानियत रखे ना कोई।।
मुकरे ना बातों से खेदू।
सुधरे हमराह यहाँ कोई ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
30-10-23 सोमवार