लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
जय माँ दुर्गा देवी,मैया जय अंबे देवी...
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
कुछ ख्वाहिश रही नहीं दिल में ,,,,
Be happy with the little that you have, there are people wit
वेदना ऐसी मिल गई कि मन प्रदेश में हाहाकार मच गया,
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
ज़िंदगी अतीत के पन्नों में गुजरती कहानी है,
रसों में रस बनारस है !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
समय ही तो हमारी जिंदगी हैं
हमें एक-दूसरे को परस्पर समझना होगा,
*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
आप देखो जो मुझे सीने लगाओ तभी
अरे कुछ हो न हो पर मुझको कोई बात लगती है।