कभी-कभी आप अपने जीवन से असंतुष्ट होते हैं, जबकि इस दुनिया मे
रहब यदि संग मे हमर ,सफल हम शीघ्र भ जायब !
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
"आया मित्र करौंदा.."
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*हृदय की वेदना कैसे, कहो किसको बताऍं हम (गीत)*
बिगड़ी किश्मत बन गयी मेरी,
अन्याय हो रहा यहाॅं, घोर अन्याय...
उसकी मर्ज़ी पे सर झुका लेना ,
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
दुश्मनों से नहीं दोस्तों से ख़तरा है
सिर्फ़ वादे ही निभाने में गुज़र जाती है
प्रस्तुति : ताटक छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
हसलों कि उड़ान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर