धरती ने जलवाष्पों को आसमान तक संदेश भिजवाया
दर्शक की दृष्टि जिस पर गड़ जाती है या हम यूं कहे कि भारी ताद
दिल का हर रोम रोम धड़कता है,
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
लिख दो ऐसा गीत प्रेम का, हर बाला राधा हो जाए
वो कौन थी जो बारिश में भींग रही थी
काम पर जाती हुई स्त्रियाँ..
■ सब परिवर्तनशील हैं। संगी-साथी भी।।
आओ छंद लिखे (चौपाई)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मार्गदर्शन होना भाग्य की बात है
पत्थर भी तेरे दिल से अच्छा है