हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
नाकामयाब पुरुष की कहानी यूँ अनकही रह जाती है,उसकी पसंदीदा स्
मानव जब जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी जाता है ...
জয় শিব শঙ্কর (শিবের গান)
एक पुरुष कभी नपुंसक नहीं होता बस उसकी सोच उसे वैसा बना देती
तारीफ किसकी करूं किसको बुरा कह दूं
ज़िंदगी को जीना है तो याद रख,
किसी का कुछ भी नहीं रक्खा है यहां
जिस तन पे कभी तू मरता है...
आत्माभिव्यक्ति
Anamika Tiwari 'annpurna '
राम - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*चालू झगड़े हैं वहॉं, संस्था जहॉं विशाल (कुंडलिया)*
ग़ज़ल _ मुहब्बत में मुहब्बत से ,मुहब्बत बात क्या करती,