Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Oh life ,do you take account!
नहीं मतलब अब तुमसे, नहीं बात तुमसे करना
मुझे लगा अब दिन लदने लगे है जब दिवाली की सफाई में मां बैट और
पुरुष प्रधान समाज को गालियां देते हैं
हैं फुर्सत के पल दो पल, तुझे देखने के लिए,
*सीधे-सादे चलिए साहिब (हिंदी गजल)*
" बीता समय कहां से लाऊं "
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
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रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
आज कल इबादते इसी कर रहे है जिसमे सिर्फ जरूरतों का जिक्र है औ