2647.पूर्णिका
2647.पूर्णिका
🌷जीना मरना वतन के लिए 🌷
22 22 212 12
जीना मरना वतन के लिए ।
जां भी हाजिर वतन के लिए ।।
चाहे अपने लाख दुश्मन हो ।
सीना ताने वतन के लिए ।।
नफरत की दीवार तोड़ दे।
बनके प्रेमी वतन के लिए ।।
शान तिरंगा ये लहर लहर ।
मरते मिटते वतन के लिए ।।
आगे बढ़ते साथ में सभी ।
जीवन समर्पित वतन के लिए ।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
27-10-2023शुक्रवार