साँवलें रंग में सादगी समेटे,
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
डॉ Arun Kumar शास्त्री - एक अबोध बालक
ज़माने ने मुझसे ज़रूर कहा है मोहब्बत करो,
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
ये दौलत ये नफरत ये मोहब्बत हो गई
জপ জপ কালী নাম জপ জপ দুর্গা নাম
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।