*भीड़ से बचकर रहो, एकांत के वासी बनो ( मुक्तक )*
पागल सा दिल मेरा ये कैसी जिद्द लिए बैठा है
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
ख्वाबों को आसमां कि रहमत रहें,
छिपी रहती है दिल की गहराइयों में ख़्वाहिशें,
पर्यावरण से न कर खिलवाड़
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
लोग कितनी आशा लगाकर यहाॅं आते हैं...
हरिगीतिका छंद विधान सउदाहरण ( श्रीगातिका)
कैसे हमसे प्यार करोगे
KAVI BHOLE PRASAD NEMA CHANCHAL
National Energy Conservation Day