ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जिनका अतीत नग्नता से भरपूर रहा हो, उन्हें वर्तमान की चादर सल
तुझसे परेशान हैं आज तुझको बसाने वाले
चाहे कितने भी मतभेद हो जाए फिर भी साथ बैठकर जो विवाद को समाप
जिसने भी तुमको देखा है पहली बार ..
मैं अपनी आँख का ऐसा कोई एक ख्वाब हो जाऊँ
हां मैं ईश्वर हूँ ( मातृ दिवस )
जितना आपके पास उपस्थित हैं
तुमसे अक्सर ही बातें होती है।
इतने दिनों के बाद
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
वो गुलशन सा बस बिखरता चला गया,
****अपने स्वास्थ्य से प्यार करें ****
फिलहाल अंधभक्त धीरे धीरे अपनी संस्कृति ख़ो रहे है
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
माँ मुझे जवान कर तू बूढ़ी हो गयी....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
यहां दिल का बड़ा होना महानता और उदारता का प्रतीक है, लेकिन उ