जिंदगी के तूफानों में हर पल चिराग लिए फिरता हूॅ॑
माना आज उजाले ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
क़ाबिल नहीं जो उनपे लुटाया न कीजिए
लपवून गुलाब देणारा व्यक्ती आता सगळ्यांसमोर आपल्या साठी गजरा
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
* बाँझ न समझो उस अबला को *
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
चरित्र साफ शब्दों में कहें तो आपके मस्तिष्क में समाहित विचार
आंखों में हया, होठों पर मुस्कान,
गर तुम हो
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
मुफ़लिसी से वो डर गया होगा ,
पढ़-लिखकर जो बड़ा बन जाते हैं,