किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
बदलते लोग भी टीचर से कम नहीं हैं,हर मुलाकात में कुछ नया सिखा
आपसी की दूरियों से गम के पल आ जाएंगे।
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
गिफ्ट में क्या दू सोचा उनको,
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
हर रात रंगीन बसर करने का शौक़ है उसे,
पता नहीं ये बस्ती जाने किस दुनिया से आई है।
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बुद्ध पूर्णिमा शुभकामनाएं - बुद्ध के अनमोल विचार
"एहसानों के बोझ में कुछ यूं दबी है ज़िंदगी
हुईं मानवीय संवेदनाएं विनष्ट
बेवजह बदनाम हुए तेरे शहर में हम
Nature ‘there’, Nurture ‘here'( HOMEMAKER)
सौन्दर्य के मक़बूल, इश्क़! तुम क्या जानो प्रिय ?
जिंदगी की दास्तां,, ग़ज़ल
फूल का शाख़ पे आना भी बुरा लगता है