इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
चीर हवाओं का सीना, इस पार आए हैं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कब करोगे जीवन का प्रारंभ???
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
बाण माताजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हे ! निराकार रूप के देवता
तुलना करके, दु:ख क्यों पाले
भीड़ दुनिया में हद से ज़्यादा है,
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
दिल के इक कोने में तुम्हारी यादों को महफूज रक्खा है।