वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
स्त्री सबकी चुगली अपने पसंदीदा पुरुष से ज़रूर करती है
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा ,
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
तुझको पाकर ,पाना चाहती हुं मैं
*जिंदगी* की रेस में जो लोग *.....*
हिन्दी की मिठास, हिन्दी की बात,
जरूरी नहीं कि वह ऐसा ही हो
जिस देश में युवाओं के पास शिक्षा की महज एक औपचारिकता ही रह ज
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी