जेल डायरी (शेर सिंह राणा)
कुछ लोगो की चालाकियां खुल रही है
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
बिन तुम्हारे अख़बार हो जाता हूँ
क्या होता है नजराना तुम क्या जानो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिल मेरा तोड़कर रुलाते हो ।
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
*कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)*
मंत्र,तंत्र,यंत्र और षडयंत्र आर के रस्तोगी