“ गोलू का जन्म दिन “ ( व्यंग )
*आजादी तो मिली मगर यह, लगती अभी अधूरी है (हिंदी गजल)*
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
एक पति पत्नी भी बिलकुल बीजेपी और कांग्रेस जैसे होते है
*चल रे साथी यू॰पी की सैर कर आयें*🍂
बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
ग़ज़ल _ सरहदों पर कहां भला जाए । श्रृद्धांजलि 😢
कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस
बुंदेली साहित्य- राना लिधौरी के दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'