एक दिया बहुत है जलने के लिए
*साठ के दशक में किले की सैर (संस्मरण)*
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
प्यार सजदा है खूब करिए जी।
अधरों ने की दिल्लगी, अधरों से कल रात ।
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
बहुत उम्मीदें थीं अपनी, मेरा कोई साथ दे देगा !
कोई होटल की बिखरी ओस में भींग रहा है
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
सोशल मीडिया में आधी खबरें झूठी है और अखबार में पूरी !!
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
अभिव्यञ्जित तथ्य विशेष नहीं।।
यह कौनसा आया अब नया दौर है
Let’s use the barter system.
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई