डॉ. नामवर सिंह की दृष्टि में कौन-सी कविताएँ गम्भीर और ओजस हैं??
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वक्त भी कहीं थम सा गया है,
अन्याय के युग में जी रहे हैं हम सब,
तक़दीर साथ दे देती मगर, तदबीर ज़्यादा हो गया,
*जलने वाले जल रहे, जल-भुनकर हैं राख (कुंडलिया)*
ताउम्र करना पड़े पश्चाताप
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
भगवती दुर्गा तेरी महिमा- भजन -अरविंद भारद्वाज