हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
*आदर्शों के लिए समर्पित, जीवन ही श्रेष्ठ कहाता है (राधेश्याम
मां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बुंदेली दोहे-फतूम (गरीबों की बनियान)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आख़िर तुमने रुला ही दिया!
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
जिंदगी की दास्तां,, ग़ज़ल
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
We all have our own unique paths,
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
We make Challenges easy and
श्रेष्ठ विचार और उत्तम संस्कार ही आदर्श जीवन की चाबी हैं।।