बहराइच की घटना पर मिली प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि लोहिया
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
इस तरह कब तक दरिंदों को बचाया जाएगा।
लंगड़ी किरण (यकीन होने लगा था)
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल
घर कही, नौकरी कही, अपने कही, सपने कही !
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
"बिना माल के पुरुष की अवसि अवज्ञा होय।
भारतीय ग्रंथों में लिखा है- “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुर
स्तुति - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
जमाना है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम