हिन्दी दोहा-विश्वास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शीर्षक:-कृपालु सदा पुरुषोत्तम राम।
माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
मित्रता के मूल्यों को ना पहचान सके
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
Friends 💕 forever soul connection
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिज्ञासा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
ख्वाब सस्ते में निपट जाते हैं