जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
तेवरी में करुणा का बीज-रूप +रमेशराज
आज, तोला चउबीस साल होगे...
रातों में कभी आसमान की ओर देखना मेरी याद आएगी।
भाव में,भाषा में थोड़ा सा चयन कर लें
*अभी भी शादियों में खर्च, सबकी प्राथमिकता है (मुक्तक)*
मुख पर जिसके खिला रहता शाम-ओ-सहर बस्सुम,
नरेंद्र
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
-कलयुग ऐसा आ गया भाई -भाई को खा गया -
ज़िंदगी - बेवज़ह ही
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '