विरक्ती
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
स्वतंत्रता दिवस की पावन बेला
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
यही हाल आपके शहर का भी होगा। यक़ीनन।।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
किसी ने बड़े ही तहजीब से मुझे महफिल में बुलाया था।
वक्त रुकता नहीं कभी भी ठहरकर,
"छोटे से गमले में हैं संभलें पौधे ll
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना