महाभारत का महाकाव्य, कथा अद्भुत पुरानी,
दीवाल पर लगी हुई घड़ी की टिकटिक की आवाज़ बनके तुम मेरी दिल क
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
वो अपने बंधन खुद तय करता है
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
है शामिल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कैसी यह मुहब्बत है
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
రామయ్య మా రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
*जाता देखा शीत तो, फागुन हुआ निहाल (कुंडलिया)*