इश्क
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
नाम कमाले ये जिनगी म, संग नई जावय धन दौलत बेटी बेटा नारी।
रोशनी से तेरी वहां चांद रूठा बैठा है
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
समंदर है मेरे भीतर मगर आंख से नहींबहता।।
*हर मरीज के भीतर समझो, बसे हुए भगवान हैं (गीत)*
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
आज का इंसान ज्ञान से शिक्षित से पर व्यवहार और सामजिक साक्षरत
■ सकारात्मक तिथि विश्लेषण।।
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।